मसूरी
असहाय और बेघर वालों को संरक्षण देने वाले गुरूरामराय जी के उत्तराधिकारी लक्ष्मणदास जी के जमाने से करीब 80 साल से रह रहे किरायेदारों को अचानक भीषण बारिश में बेघर करने की आखिर महंत देवेंद्र दास को क्या सूझी। घर गांव में शिक्षा और बेघर वालों को रैन बसरे देने वाली संस्था ने बर्षों पहले गौरखाओ के आक्रमण के बाद तत्कालीन महाराजा टिहरी तक को खुड़बुडा में पनाह दी और उनके उत्तराधिकारी महंत देवेंद्र दास ने लक्ष्मणपुरी में वर्षो से संस्था की कृपा से रह रहे लोगों को हटाने का फरमान ही नही बल्कि न्यायालय में लंबित वाद के बाद भी बेदखल करने की कू्ररतम व्यूह रचा है। कमोवेश यही कहना है अधिकांश लक्ष्मणपुरी में गुरूराम राय की भवन पर किराए रहने वाले लोगों की।
काबिलेगौर है कि गुरूराम राय लक्ष्मणपुरी में वर्षों से किराए या बिना किराए पर रहने वाले लोगों को भवन तो खाली करना ही था। कोई भी अपना मालिकाना हक नही जमाना चाहता। और किसी की ऐसी मंशा भी प्रतीत नही होती। आखिर 80 साल तक लोगों ने अपने बाल-बच्चे और कुटुम्ब परिवार के साथ खुशहाली से अपनी दो पीढ़ियां बीता दी। कुछ समय पहले तक लक्षमणपुरी के भवन में संस्था द्वारा एक स्कूल भी संचालित किया जा रहा था। बाद में इसे बंद कर दिया गया। स्कूल के संचालन के दौरान भी यहां पर कई परिवार किराए पर रहते थे। जिनमें 80 साल के बुजुर्गवार नारायण प्रसाद डिमरी अपनी पुत्री के साथ रह रहे है। जगत रौथाण आदि। बताया गया कि बीते दिन देहरादून में एक प्रतिनिधिमंडल को महंत देवेंद्र दास ने आश्वस्त किया था कि बरसात में वहां रह रहे परिवारों को नही हटाया जाएगा।
काबिलेगौर यह है कि बिल्डिंग में रह रहे लोगों ने कमरों की अंदरूनी मरम्मत इत्यादि खूब खर्च किया। उन्हें नही मालूम था कि उन्हें इतने जल्दी बेदखल किया जाएगा। बकौल जगत रौथाण पूर्ववर्ती महंत जी द्वारा उनको आश्वस्त किया गया था कि वे जब तक रहना चाहिए। रहे। उन्हें नही हटाया जाएगा। बुजुर्गवार एनपी डिमरी पिछले 80 साल रह रहे है। उन्हें कमरे खाली करने का मलाल नही बल्कि मलाल इस बात का है कि भारी बारिश में छत उखाडकर खुले आसमान में नीचे रात गुजारने के लिए विवश किया गया। यही स्थिति अन्य लोगों की भी है। लेकिन आज दोपहर में जिस भवन की छत की हटायी गई उसमें सर्वाधिक प्रभावित एनपी डिमरी है। आखिर महंत देवेंद्र दास एक-दो महीने इस काम को रोक सकते थे। और लोगों को बारिश के बाद खाली करने का अल्टीमेटम देते। लक्ष्मणपुरी गुरूराम राय में रहने वाले लोगों को यह भी कहना है कि मामला अभी न्यायालय में विचाराधीन है। उधर दूसरी और गुरूरामराय के अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश की गई कि उनका इस मामले में क्या कहना है। लेकिन किसी से भी संपर्क नही हो सका।